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mirchi ki kheti

तीखी मिर्च देगी मुनाफा

तीखी मिर्च देगी मुनाफा

मिर्च मसाले, अचार और आम सब्जियों में प्रयोग में लाई जाती है। इसकी जरूरत भले ही कम मात्रा में रहती हो लकिन इसका उपयोग तकरीबन हर व्यक्ति हर दिन करता है। मिर्च की खेती जितनी लाभकारी हो सकती है उतनी दूसरी कोई फसल नहीं हो सकती। बात सिर्फ इतनी है किसानों को इसकी खेती बाजार में केताजी मिरच की कीमत मिले तो उस समय और ​यदि न मिले तो इसके अचार व मसालों के लिए तैयार करने के हिसाब से उगाना चाहिए। बाजार में किसान को उसकी फसल की उचित कीमत कभी कभार ही मिलती है। मिर्च की फसल ऐसी है इसे हर स्थिति में सुरक्षित किया जा सकता है और उसकी कीमल वसूली जा सकती है। 

मिर्च की फसल खरीफ एवं जायद दोनों सीजनों में होती है। इसकी खेेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है।

मिर्च की उन्नत किस्में

 

 यूंतो मिर्च की अनेक किस्में बाजार में मौजूद हैं लेकिन सरकारी संस्थानों की किस्में भी किसी से कम नहीं हैं। इनमें एनपी 46ए किस्म की मिर्च की लम्बाई 9 सेण्टीमीटर तक हो जाती है। यह 60 कुंतल प्रति हैक्टेयर उपज देती है।  इसके अलावा पन्त सी 1 किस्म 90 कुंतल तक उपज देती है। लम्बाई 6 सेण्टीमीटर तक होती है। इसके अकावा पूसा ज्वाला किस्म 11 सेण्टीमीटर तक लम्बी होती है और 70 कुंतल तक उपज देती है।  के 5452 किस्म सामान्य तीखापन लिए होती है और मसालों के लिए सुखाने पर भी 22 कुंतल तक उपज देती है। इनके अलावा भी प्राईबेट कंपनियों की अनेक किस्में हैं जिन्हें किसान अपने इलाकों में लगा रहे हैं। किस्मों का चयन रोग रोधी देखकर करना चाहिए ताकि बाद में फसल में रोग संक्रमण का प्रभाव कम हो। 

मिर्च की पौध की तैयारी

 

 पौध डालने का कार्य फरवरी से मार्च एवं मई से जुलाई तक किया जाता है।एक हैक्टेयर के लिए एक से डेढ किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। हाइब्रिड किस्मों का बीज महंगा होता है और कम उपयोग में आता है। पौध एक माह की होने पर रोपी जाती है। जुलाई से सितंबर में 60 सेमी की दूरी कतारों में व 40 सेमी दूरी पौधों की रखते हैं। मार्च अप्रैल में 45 सेमी कतारों एवं 30 सेमी पौधों से पौधों की दूरी रखते हैं।

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रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए ताकि पौधे की मिट्टी जम जाए और पौधे की जड़ें भी जम जाएं। 

मिर्च के रोग नियंत्रण

मिर्च में कई बार थ्रिप्स नामक कीट लगता है जो पत्तियों का रस चूस जाता है। इससे बचाव के लिए प्रथमत: मेलाथियान धूल का बुरकाव करें। इसके अलावा उकठा रोग के नियंत्रण हेतु प्रभावी फफूंदनाशक का छिडकाव करें। इनमें मेटासिक्सास, डाईथेनएम 45 आदि का उपयोग किया जाता है। पौधे से पौधे की दूरी 40 सेण्टीमीटर एवं कतारों की दूरी 60 सेण्टीमीटर रखते हैं। पौध सदैव बैड पर डालें। बीज का उपचार एवं मृदा उपचार अवश्य करें।

इस मिर्च का प्रयोग खाने से ज्यादा सुरक्षा उत्पादों में किया जाता है।

इस मिर्च का प्रयोग खाने से ज्यादा सुरक्षा उत्पादों में किया जाता है।

मिर्च को राजा चिली के नाम से भी जाना जाता है। नागालैंड में उत्पादित हो रही यह मिर्च ६०० रुपये प्रति किलो तक के मूल्य पर विक्रय होती है। इसका उपयोग खाने में होने के साथ-साथ कंपनियां इसका प्रयोग कर सुरक्षा उत्पाद भी निर्मित कर रही हैं। भारत में किसी भी फसल को उगाया जा सकता है, क्योंकि यहाँ हर प्रकार की मृदा उपलब्ध है। साथ ही, भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु भी होती हैं एवं प्रत्येक मृदा-जलवायु के माध्यम से भिन्न-भिन्न फसल का उत्पादन मिलता है। हालाँकि, भारत विभिन्न फसलों का एकमात्र सर्वाधिक उत्पादक देश है, परंतु वर्तमान में देखें तो विश्व की सर्वाधिक तीखी मिर्च भूत झोलकिया की जिसे नागा मिर्चा, गोस्ट पेपर, किंग मिर्चा, राजा मिर्चा के नाम से भी जाना जाता है। सर्वाधिक तीखेपन हेतु भूत झोलकिया का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अंकित किया गया है। देश के उत्तर पूर्वी राज्य नागालैंड में उत्पादित होने वाली इस भूत झोलकिया का विभिन्न देशों में निर्यात हो रहा है। बतादें कि, भारत भूत झोलकिया का सर्वाधिक उत्पादक देश है, परंतु यह मिर्च इतनी तीखी होती है, कि इसको खाने से ज्यादा उपयोग सुरक्षा उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। नॉर्थ-ईस्ट प्रदेशों में इस मिर्च से भोजन तो निर्मित होते ही हैं, परंतु बेहद कम लोगों को पता होगा कि, भूत झोलकिया मिर्च से सुरक्षा में प्रयोग होने वाली चिली पेपर स्प्रे एवं हैंड ग्रेनेड निर्मित किये जाते हैं। आज कई देशों में पाउडर एवं कच्चे रूप में भूत झोलकिया विक्रय हो रहा है। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=66YIwYYDIys&t=32s[/embed]

भूत झोलकिया को क्यों सुरक्षा बलों का कवच माना जाता है

खबरों के मुताबिक बताया गया है, कि भूत झोलकिया मिर्च के तीखेपन की वजह से कुछ लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। इसी कारण से नॉर्थ-ईस्ट के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर इसका उपयोग खाने हेतु नहीं होता परंतु अपनी इसी विशेषता के कारण से इस मिर्च को वर्तमान में भारतीय सुरक्षा बलों का सुरक्षा कवच माना जाता है। उपद्रवियों के विरुद्ध देश सुरक्षा बल फिलहाल इस मिर्च का प्रयोग कर रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ की ग्वालियर, टेकनपुर स्थित टियर स्मोक यूनिट में भूत झोलकिया मिर्च का प्रयोग कर आंसू गैस के गोले निर्मित किये जा रहे हैं। हालाँकि इन गोलों के प्रयोग से कोई शारीरिक हानि नहीं होती, परंतु आंतकवादी व उपद्रवियों की आँखों को धुएं से बंद करने और दम घोटने की दिक्क्त देने में बेहद सहायक होते हैं।


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वर्तमान में भारत की सर्वोच्च रक्षा संस्थान डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा भूत झोलकिया के अत्यधिक तीखेपन को देखते हुए इसको सुरक्षा उपकरणों में शम्मिलित किया गया है। महिलाओं की आत्मरक्षा हेतु भी भूत झोलकिया से चिली स्प्रे की तरह विभिन्न उत्पाद निर्मित किये जा रहे हैं, हालांकि इस मिर्च स्प्रे के कारण कोई घातक हानि नहीं होती है। परंतु कुछ वक्त तक उपद्रवियों को रोकने एवं गुमराह करने हेतु यह बेहद सहायक साबित होता है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिर्ची के तीखेपन में प्रथम स्थान पर प्योर कैप्साइसिन द्वितीय पर स्टैंडर्ड पेपर स्प्रे, तृतीय पर कैरोलिना रीपर एवं चतुर्थ पर ट्रिनिडाड मोरुगा स्कोर्पियन का नाम शामिल है। टॉप 5 तीखी मिर्चों में भूत झोलकिया का नाम भी शम्मिलित है।
बाजार में मिलावटखोर लाल मिर्च में कर रहे मिलावट ऐसे करें मिलावटयुक्त मिर्च की जाँच

बाजार में मिलावटखोर लाल मिर्च में कर रहे मिलावट ऐसे करें मिलावटयुक्त मिर्च की जाँच

आज हम आपको लाल मिर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप यह पहचान सकें कि कौन सी मिर्च शुद्ध है और कौन सी मिटावती। क्योंकि लाल मिर्च को अच्छी तरह जांच परखने के उपरांत ही प्रयोग करना चाहिए। कुछ मिलावट खोर लाल मिर्च में डाई अथवा नकली लाल रंग का मिश्रण करके बेचते हैं। जो कि आपकी सेहत को काफी प्रभावित करता है। बहुत सारे तरीकों से लाल मिर्च की शुद्धता और इसकी गुणवत्ता का पता लगाया जा सकता है। खाने को स्वादिष्ट बनाने में लाल मिर्च की अपनी अहम भूमिका होती है। लाल मिर्च के तड़के के बिना सब्जी में मजा नहीं आता है, भारत में रहने वाले लोग बिना तड़का लगाए सब्जी चाव से नहीं खाते हैं। इसलिए लाल मिर्च भारतीय भोजन के व्यंजनों की जान मानी जाती है। इतना ही नहीं देसी लाल मिर्च के तीखेपन का चस्का वर्तमान में विदेशियों को भी खूब भा रहा है। इसलिए आजकल लालमिर्च विदेश में भी खूब निर्यात होने वाले मसालों में लाल मिर्च का नाम भी शम्मिलित है। अत्यधिक मांग होने की वजह से बाजार में लाल मिर्च की आपूर्ति नहीं हो पाती है। जिसका व्यापारी गलत लाभ उठाते हैं एवं लाल मिर्च के अंदर ड़ाई, ईंट का पाउडर, गेरुआ, लाल रंग इत्यादि का मिश्रण कर देते हैं। जो कि एक कानूनन अपराध होता है, परंतु इसके अलावा भी लाल मिर्च में मिलावट होने की खबर सामने आती रहती हैं। अगर आप स्वयं तथा स्वयं के परिजनों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं, तो लाल मिर्च को उपयोग में लाने से पूर्व उसकी शुद्धता एवं गुणवत्ता की जाँच पड़ताल अवश्य करलें। क्योंकि अगर आपने भूल से भी नकली लाल मिर्च का उपभोग किया तो आपके पेट से लेकर आँतों तक की स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां आपको नुकसान पहुँचा सकती हैं।

ईंट के पाउडर-गेरुआ की मिलावट की कैसे जाँच करें

मिर्च का रंग ईंट-गेरुआ का रंग दोनों लाल व एक जैसे होते हैं। इसी बात का फायदा उठा कर मिलावट खोर लाल मिर्च में ऐसे हानिकारक पदार्थों की मिलावट कर देते हैं। आप जिस मिर्च का उपयोग कर रहे हैं तो याद रहे उसमें भी यह नुकसानदायक पदार्थ मिले हो सकते हैं। इसकी जांच पड़ताल करना काफी आसान माना जाता है। इस ईंट के पाउडर-गेरुआ की मिलावट की जाँच पड़ताल के लिए एक गिलास जल लेकर उसमें एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर मिलाकर देखें। जैसे ही आप जल में मिलाओगे आपको मिट्टी की गंध का आभाष होने लगेगा जाएगी। साथ ही, पानी का रंग भी परिवर्तित होने लग जाएगा।
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इसका पता लगाने की एक और विधि है, जिसके अंतर्गत लाल मिर्च का पाउडर लेकर उसके ऊपर गिलास को घिसेंगे। उस स्थिति में यदि आपको किरकिरापन का आभाष हो तो मान लीजिए कि लाल मिर्च में मिलावटयुक्त होने की आशंका है।

डाई अथवा आर्टिफिशियल (Artificial) रंग की मिलावट की कैसे जाँच करें

लाल मिर्च में आमतौर पर ड़ाई और आर्टिफिशियल रंग की मिलावट के बारे में भी बहुत सी बात सामने आएंगी। हालांकि, ब्रांडेड लाल मिर्च में इस प्रकार की खबर नहीं सुनी है। परंतु, खुले रूप से बिकने वाले लाल मिर्च पाउडर में डाई अथवा आर्टिफिशियल रंग मिले होने के अधिक होते हैं। इसकी जाँच पड़ताल करने हेतु एक गिलास जल में एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर का उचित प्रकार से मिश्रण कर लें। अगर लाल मिर्च को बेहतर ढंग से घोला जाए एवं पानी का रंग गहरा लाल हो जाए तब जान लें कि लाल मिर्च मिलावटयुक्त है। क्योंकि लाल मिर्च को जल में नहीं घोल सकते हैं। यह जल के ऊपर भाग पर ही तैरती रहती है।
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लाल मिर्च पाउडर में स्टार्च की मिलावट का कैसे पता लगाएं

हम जब कभी भी लाल मिर्च में स्टार्च की मिलावट के बारे में सुनते हैं। उस स्थिति में हमको जागरुकता एवं सावधानी से शुद्धता की जाँच पड़ताल अवश्य करनी चाहिए। अगर आप भी खरीदकर लाए लाल मिर्च पाउडर में स्टार्च की मिलावट के बारे में पता लगाना चाहते हैं। तो इसकी जाँच करने हेतु आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर कटोरी में डालें एवं इसमें टिंचर आयोडीन अथवा आयोडीन Solution की कुछ बूंदें मिलाएं। वर्तमान में अगर लाल मिर्च पाउडर का रंग नीला होने की स्थिति में है तो स्टार्च की मिलावट जरूर हुई है, उसको खाने के बाद ही आपका स्वास्थ्य खराब होने की संभावना है।

FSSAI द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं

मिलावटयुक्त लाल मिर्च के बारे में सूचना लोगों तक मुहैय्या कराने हेतु भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण बहुत सी कोशिश में लगा रहता है। एक जागरुकता अभियान के दौरान यह व्यक्त किया गया। कैसे लाल मिर्च में चाक पाउडर, चोकर, साबुन, लाल तेल, ईंट का चूरा, पुरानी और खराब मिर्च आदि मिलायी जाती है। इसको खाने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए इसका सेवन करने से पूर्व लाल मिर्च की शुद्धता की जाँच पड़ताल जरूर कर लेनी चाहिए।
यहां के किसान मिर्च की खेती से हो रहे हैं मालामाल, सरकार भी कर रही है मदद

यहां के किसान मिर्च की खेती से हो रहे हैं मालामाल, सरकार भी कर रही है मदद

पंजाब के फिरोजपुर जिले में इन दिनों किसान गेहूं-चावल की फसल को बहुत हद तक कम उत्पादित कर रहे हैं। इसकी जगह उन्होंने अब एक नई फसल की खेती प्रारंभ की है जिसे मिर्च की खेती के नाम से जानते हैं। मिर्च का इस्तेमाल ज्यादातर भारतीय व्यंजनों में स्वाद को बढ़ाने के लिए मसाले के रूप में होता है। बाजार में लाल मिर्च के साथ-साथ हरी मिर्च भी बड़ी मात्रा में बिकती है, इसलिए फिरोजपुर के किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर मिर्च की खेती करना शुरू कर दी है। वैसे तो मिर्च की खेती के लिए फिरोजपुर की खास पहचान नहीं है, लेकिन सरकार के द्वारा हाल ही में फसल कार्यक्रम को बढ़ावा देने के अपने अभियान के तहत इस जिले में एक मिर्च क्लस्टर स्थापित करने की घोषणा की गई है। पंजाब सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि राज्य में मिर्च का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। इसलिए सरकार मिर्च क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत मिर्च उत्पादकों को सहूलियतें भी मुहैया करवा रही है। सरकार की कोशिश है कि राज्य से मिर्च का अधिक से अधिक निर्यात किया जाए, साथ ही किसानों को गुणवत्ता में सुधार के लिए तकनीकी मदद भी मुहैया कारवाई जाए ताकि घरेलू बाजार में उनकी पकड़ मजबूत हो सके। यह भी पढ़ें: हरी मिर्च की खेती की पूरी जानकारी वर्तमान में पंजाब राज्य में 10,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें किसान हर साल लगभग 20,000 टन मिर्च का उत्पादन करते हैं। वैसे तो देश में आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा मिर्च का उत्पादन होता है लेकिन पंजाब का भी इस खेती में अपना एक अलग स्थान है। मिर्च उत्पादक किसानों ने बताया है कि परंपरागत खेती के इतर मिर्च की खेती में प्रति एकड़ लगभग 1.50 से 2 लाख रुपये की आमदनी होती है। वहीं गेहूं और धान की खेती में इतनी ही जमीन पर मात्र 90 हजार रुपये की कमाई हो पाती है। इसलिए गेहूं, चावल की अपेक्षा मिर्च से होने वाली कमाई बहुत ज्यादा है। यह फसल नवंबर में लगाई जाती है और मार्च के महीने के तैयार हो जाती है। फिरोजपुर के एक किसान ने बताया कि वो फिरोजपुर के एक गांव में 100 एकड़ जमीन पर मिर्च की फसल उगाते हैं, जिसमें प्रति एकड़ 2 लाख रुपये की मिर्च का उत्पादन होता है। बाजार में लाल मिर्च 200-250 रुपये प्रति किलो आसानी से बिक जाती है जबकि हरी मिर्च का भाव 20-25 रुपये प्रति किलो होता है। उन्होंने बताया कि फिरोजपुर की मिर्च को अब बाजार में पहचान मिल गई है, यही कारण है कि अब पड़ोसी राज्य राजस्थान के गंगानगर के व्यापारी और आंध्र प्रदेश के व्यापारी यहां मिर्च खरीदने आते हैं। यह भी पढ़ें: इस मिर्च का प्रयोग खाने से ज्यादा सुरक्षा उत्पादों में किया जाता है। यहां की लाल मिर्च ज्यादातर गुजरात में भेजी जाती है, जबकि गहरे रंग की हरी मिर्च नागपुर, भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में भेजी जाती है। वहां इस फसल की जबरदस्त मांग रहती है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि अभी फिलहाल फिरोजपुर जिले के तीन ब्लॉक- घल खुर्द, फिरोजपुर और ममदोट में मिर्च की खेती की जा रही है। इस खेती में किसानों को लाभ हो और किसान इसके प्रति जागरुख हों, इसलिए जिले में क्लस्टर विकास का तरीका अपनाया गया है। इससे मिर्च उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। अधिकारियों ने आगे बताया कि पंजाब में फिरोजपुर के अलावा पटियाला, मलेरकोटला, संगरूर, जालंधर, तरनतारन, अमृतसर, एसबीएस नगर और होशियारपुर जिलों में भी मिर्च की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है।